उत्कर्ष एनजीओ तर्फे पंढरपूर वारी 2024 प्लास्टिकमुक्त करण्यासाठी 5 लाख कापडी पिशव्या आणि 2.5 लाख स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे वाटप

पंढरपूर वारी ही एक आध्यात्मिक यात्रा आहे जिथे 10 लाखांहून अधिक भाविक पंढरपूर मंदिराच्या पदयात्रेत सहभागी  होतात, २९ जूनपासून सुरू झाली आहे आणि 17 जुलै 2024 रोजी पंढरपूर येथे समाप्त होईल. उत्कर्ष संस्था या वर्षीच्या पंढरपूर वारीमध्ये संपूर्ण मार्गावरील भाविकांना 5 लाख कापडी पिशव्या आणि 2.5 लाख स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे मोफत वाटप करणार आहे. ही मोहीम उत्कर्ष “से नो टू सिंगल-युज प्लास्टिक” या मोहिमेचा एक भाग आहे जी सध्या पाच राज्यांमध्ये सुरू आहे.

उत्कर्ष देहू संस्थान, आळंदी संस्थान, सासवड, बारामती, फलटण, इंदापूर आणि पंढरपूर येथे स्टॉल लावत आहे. 29 जून 2024 रोजी उत्कर्ष ने पंढरपूर वारीच्या भक्तांना 50,000 कापडी पिशव्या आणि 50,000 स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे वाटप करून महाराष्ट्रातील देहू (श्री संत तुकाराम महाराज मंदिराजवळ) येथे मोहीम सुरू केली.

30 जून 2024 रोजी उत्कर्षने आळंदी संस्थानमध्ये पोहोचून 50,000 कापडी पिशव्या आणि 50,000 स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्या भक्तांना वाटल्या. 4 जुलै 2024 रोजी, उत्कर्ष सासवड ते जेजुरी वारी मार्गावर होता, आणि यात्रेकरूंना 50,000 हून अधिक स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे वाटप केले.

7 जुलै 2024 रोजी उत्कर्षने बारामतीतील वारकऱ्यांना 50,000 कापडी पिशव्या आणि 50,000 स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे वाटप केले. यावेळी महाराष्ट्राचे उपमुख्यमंत्री श्री अजित पवार जी उपस्थित होते. 11 जुलै 2024 रोजी इंदापूर येथे उत्कर्ष स्टॉल उभारण्यात आला, जिथे त्यांनी वारकऱ्यांना 50,000 स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे वाटप केले. 17 जुलै 2024 रोजी, उत्कर्ष पंढरपूर येथे असेल आणि उत्कर्ष पर्यावरण वारी 2024 चा एक मोठा समारोप समारंभ आयोजित करेल, आणि 50,000 पेक्षा जास्त कापडी पिशव्यांचे वाटप भाविकांना करेल.

ॲड. उत्कर्ष ग्लोबल फाऊंडेशनचे सीईओ डी.आर. लोंढे म्हणतात, “उत्कर्ष पर्यावरण वारी 2024 हा आमच्या एनजीओच्या पर्यावरण संरक्षण चळवळीचा एक भाग आहे. वारकऱ्यांना पंढरपूरच्या यात्रेत पोहोचवायचे आणि त्यांना प्लास्टिकच्या कॅरीबॅग आणि प्लास्टिकच्या पाण्याच्या बाटल्या वापरण्याची गरज पडू नये यासाठी कापडी पिशव्या आणि स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्यांचे वाटप करण्याचे आमचे ध्येय आहे. उत्कर्ष पर्यावरण वारी 2024 चे उद्दिष्ट प्लास्टिक प्रदूषण कमी करणे आणि पंढरपूर वारी प्लास्टिकमुक्त करणे हे आहे!”

उत्कर्षचे उपाध्यक्ष आतिश वाघमारे पुढे म्हणतात, “भक्तांचा प्रतिसाद पाहून आम्हाला आनंद झाला. त्यांना कापडी पिशव्या आणि स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्या उपयुक्त वाटल्या आणि त्यांचे महत्त्वही कळले. यापुढे ते यात्रेत प्लास्टिकच्या पिशव्या किंवा बाटल्या वापरणार नाहीत, असेही ते म्हणाले.

उत्कर्ष वारीदरम्यान 5 लाखांहून अधिक भाविकांपर्यंत पोहोचेल आणि त्यांना कापडी पिशव्या आणि स्टीलच्या पाण्याच्या बाटल्या यांसारख्या पर्यावरणपूरक वस्तू उपलब्ध होतील, ज्या त्यांना दीर्घकाळ वापरता येतील याची खात्री होईल. 5 लाख भाविक घरी परतल्यानंतरही कधीही प्लास्टिकच्या कॅरीबॅगचा वापर करणार नाहीत याची खात्री करण्याचे उत्कर्षचे उद्दिष्ट आहे.

उत्कर्ष ग्लोबल फाऊंडेशन ही मुंबई स्थित एक नानफा संस्था आहे, ज्याच्या शाखा तामिळनाडू, पंजाब, उत्तर प्रदेश आणि आंध्र प्रदेशात आहेत. यावर्षी ते समाजसेवेच्या 14व्या वर्षात पदार्पण करत आहेत. उत्कर्ष, पर्यावरणाव्यतिरिक्त, प्राणी कल्याण, महिला शिक्षण आणि सक्षमीकरण, सामाजिक न्याय आणि सक्षमीकरण, आपत्ती सज्जता, आरोग्य सेवा, रस्ता सुरक्षा आणि बरेच काही क्षेत्रात देखील कार्य करते.

उत्कर्ष एनजीओ ने पंढरपुर वारी 2024 को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए उत्कर्ष पर्यावरण वारी 2024 की शुरुआत की
5 लाख कपड़े के थैले और 2.5 लाख स्टील की पानी की बोतलें वितरित की गईं
महाराष्ट्र में सबसे प्रतीक्षित वार्षिक भक्ति कार्यक्रम यहाँ है! पंढरपुर वारी, एक आध्यात्मिक यात्रा है जहाँ 10 लाख से अधिक भक्त पंढरपुर मंदिर की पैदल यात्रा में शामिल होते हैं, यह 29 जून से शुरू हो गया है और 17 जुलै, 2024 को पंढरपुर में समाप्त होगा।


इस वर्ष वारी में शामिल होने वाला उत्कर्ष पर्यावरण वारी है, जिसमें उत्कर्ष ग्लोबल फाउंडेशन, एक गैर सरकारी संगठन, पूरे मार्ग पर भक्तों को 5 लाख कपड़े के थैले और 2.5 लाख स्टील की पानी की बोतलें मुफ्त में वितरित करेगा। यह अभियान उत्कर्ष के “सिंगल-यूज प्लास्टिक को ना कहें” अभियान का हिस्सा है जो वर्तमान में पाँच राज्यों में चल रहा है। उत्कर्ष देहू संस्थान, आलंदी संस्थान, सासवड, बारामती, फलटन, इंदापुर और पंढरपुर में स्टॉल लगा रहे हैं। 29 जून, 2024 को उत्कर्ष ने महाराष्ट्र के देहू (श्री संत तुकाराम महाराज मंदिर के पास) में पंढरपुर वारी के भक्तों को 50,000 कपड़े के थैले और 50,000 स्टील की पानी की बोतलें वितरित करके अभियान की शुरुआत की। 30 जून 2024 को उत्कर्ष आलंदी संस्थान पहुंचे और श्रद्धालुओं को 50,000 कपड़े के थैले और 50,000 स्टील की पानी की बोतलें वितरित कीं। 4 जुलाई 2024 को उत्कर्ष सासवड से जेजुरी वारी मार्ग पर थे और उन्होंने तीर्थयात्रियों को 50,000 से अधिक स्टील की पानी की बोतलें वितरित कीं। 7 जुलाई, 2024 को उत्कर्ष ने बारामती में वारकरियों को 50,000 कपड़े के थैले और 50,000 स्टील की पानी की बोतलें वितरित कीं। इस अवसर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री अजीत पवार जी उपस्थित थे। 11 जुलाई, 2024 को उत्कर्ष ने इंदापुर में स्टॉल लगाया, जहाँ उन्होंने वारकरियों को 50,000 स्टील की पानी की बोतलें वितरित कीं। 17 जुलाई, 2024 को उत्कर्ष पंढरपुर में होगा और उत्कर्ष पर्यावरण वारि 2024 का एक विशाल समापन समारोह आयोजित करेगा और भक्तों को 50,000 से अधिक कपड़े के थैले वितरित करेगा। उत्कर्ष ग्लोबल फाउंडेशन के सीईओ एडवोकेट डी. आर. लोंधे कहते हैं, “उत्कर्ष पर्यावरण वारि 2024 हमारे एनजीओ के पर्यावरण संरक्षण आंदोलन का एक हिस्सा है। हमारा लक्ष्य पंढरपुर की तीर्थयात्रा पर वारकरियों तक पहुँचना और उन्हें कपड़े के थैले और स्टील की पानी की बोतलें वितरित करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें प्लास्टिक के कैरी बैग और प्लास्टिक की पानी की बोतलों का उपयोग न करना पड़े। उत्कर्ष पर्यावरण वारी 2024 का लक्ष्य प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना और पंढरपुर वारी को प्लास्टिक मुक्त बनाना है!”
उत्कर्ष के उपाध्यक्ष आतिश वाघमारे कहते हैं, “भक्तों की प्रतिक्रिया देखकर हमें बहुत खुशी हुई। उन्हें कपड़े के थैले और स्टील की पानी की बोतलें उपयोगी लगीं और उन्हें इनका महत्व भी पता चला। उन्होंने यह भी कहा कि वे अब से तीर्थयात्रा पर प्लास्टिक की थैलियों या बोतलों का उपयोग नहीं करेंगे।”
उत्कर्ष वारी के दौरान 5 लाख से अधिक भक्तों तक पहुँचेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उन्हें कपड़े के थैले और स्टील की पानी की बोतलें जैसी पर्यावरण के अनुकूल वस्तुएँ उपलब्ध हों, जिनका वे लंबे समय तक उपयोग कर सकें। उत्कर्ष का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि 5 लाख भक्त घर लौटने के बाद भी कभी प्लास्टिक के कैरी बैग का उपयोग न करें।
उत्कर्ष ग्लोबल फाउंडेशन मुंबई में स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसकी शाखाएँ तमिलनाडु, पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में हैं। इस वर्ष वे समाज सेवा के 14वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। पर्यावरण के अलावा, उत्कर्ष पशु कल्याण, महिला शिक्षा और सशक्तिकरण, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, आपदा तैयारी, स्वास्थ्य सेवा, सड़क सुरक्षा आदि क्षेत्रों में भी काम करते हैं।

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